अष्टाध्यायी प्रथमावृत्ति

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महर्षि पाणिनी ने आठ अध्यायों मे लगभग चार हज़ार व्याकरण के सूत्रों का प्रतिपादन किया है जिसे अष्टाध्यायी के नाम से जाना जाता है । प्रथमावृत्ति में इन सभी सूत्रों के अर्थ एवं उनसे संबन्धित शब्दों की सिद्धियाँ पढ़ाई जाती है। यदि आप वेद और वेदाङ्ग पढ़ने के इच्छुक हैं, तो आपको अष्टाध्यायी प्रथमावृत्ति का ज्ञान होना आवश्यक है। क्योंकि संस्कृत साहित्य के ग्रंथों का मूल ज्ञान अनुवाद पढ़ के प्राप्त नहीं किया जा सकता।