भारत जैसा देश, जिसका इतना गौरवशाली एवं समृद्ध इतिहास रहा हो वह आज विकासशील देश के वर्ग मे हो तो उसे विश्व गुरु बनाने के लिए आवश्यकता है एक क्रांति की । वह क्रांति जो भारत मे वैदिक गुरुकुल शिक्षा को फिर से जन जन मे स्थापित कर सके। तत्-पश्चात हम वेद विज्ञान को जान कर मानवीय मूल्यो को समाज मे फिर से स्थापित कर एक वैज्ञानिक, विकसित, सुदृढ़ और सशक्त राष्ट्र की स्थापना कर पाएंगे ।
आज यदि हम अपने चारों और दृष्टि डालें तो समाज मे जो शिक्षा पद्धति है क्या उसका सिर्फ एक उद्द्शेय है “ अच्छी से अच्छी नौकरी /व्यवसाय पाकर अधिक से अधिक धन अर्जित कर भोग मे लिप्त होना ?”
- क्या यह बहुमूल्य जीवन हमे सिर्फ धन उपार्जन और भोग के लिए मिला है ?
- हमारे जीवन का उद्देश्य और रूप रेखा कैसी होनी चाहिए ?
- नैतिक मूल्य कितना आवश्यक है ?
- धर्म, नैतिकता , राष्ट्र , संप्रदाय , जाति, वर्ण इनमे से किसे प्राथमिकता दी जाय और किसका त्याग किया जाय ?
- शास्त्र की जटिल बातों को कैसे सरल रूप से जीवन मे उतारा जाय ?
- वेद विज्ञान को कैसे समझा जाय और कैसे विश्व कल्याण किया जाय ?
- भारत को कैसे फिर से विश्व गुरु बनाया जाय ?
ऐसे ही कुछ प्रश्नो के उत्तर का व्यावहारिक समाधान देता है : “गुरुकुल क्रांति”
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